Followers

Tuesday, 13 August 2013

"चाहतों का दर्द तो सीने में दफ्न है"

आँखों को आँसुओं का खजाना बना लिया 

खामोशियों को दिल का ठिकाना बना लिया 


चाहतों का दर्द तो सीने में दफ्न है

पीने का हमने खूब बहाना बना लिया


अपनी तो हो गयी है हर शाम उसके नाम

यादे वफा की हमने फसाना बना लिया 


नजरें मिली तो हमको नजारे न मिल सके

उसकी नजर ने हमको निशाना बना लिया


वो जानते नहीं कि राख में भी आग है

घायलने प्यार को ही तराना बना लिया

3 comments: