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Wednesday, 17 July 2013

"ग़ज़ल-दिल तेरा दिवाना है" (दिलीप कुमार तिवारी 'घायल')

मेरे खामोश लब पे, ऐ सनम तेरा तराना है
निगाहें खुद बयां करती कि दिल तेरा दिवाना है

अगर फिर भी यकीं न हो, तो उसकी धड़कनें सुन लो
तेरे दिल के समुन्दर में ही, मेरा अशियाना है

तेरे पहलू मे आके खुद का भी अपना मकां होगा
इन्ही खुदगर्ज राहों में, गिले-शिकवे मिटाना है

मिटा सकता हूँ खुद को, ऐ सनम आगोश में तेरे
नहीं है दिल्लगी, मदहोश ये तेरा सताना है

तेरे अल्फाज में हैं, जादुई रंगों के अफसाने
मोहब्बत मेँ न तू कर शक, यही तुझको बताना है

मिरी नस-नस में बहते हैं, तिरे जज्बात के दरिया
इन्ही में डूब कर, लहरों के मुझको पार जाना है

तुम्हारी हर अदा 'घायल' सा, कर देती है घायल को
मुहब्बत का चलन तो, रूठना है और मनाना
है

▼ दिलीप कुमार तिवारी 'घायल' ▼

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